Dushmani Shayari in Hindi : These Dushmani Shayaris (
शायरी हिंदी ) are for fake friends who jealous to your Success or Anything who Don't Deserve to your Friendship.
Dushmani Shayari in Hindi
दिल को पाला बग़ल में तू ने
मै रिश्तों का जला हुआ हूँ
दुश्मनी भी फूँक – फूँक कर करता हूँ.
इलाही क्यों नहीं उठती कयामत माजरा क्या है,
मारे सामने पहलू में वो दुश्मन बन के बैठे हैं
वो जो बन के दुश्मन हमे जीतने को निकले थे,
कर लेते अगर मोहब्बत तो हम ख़ुद ही हार जाते.
दुश्मनों के साथ मेरे दोस्त भी आज़ाद हैं
देखना है खींचता है मुझ पे पहला तीर कौन
मैं आ कर दुश्मनों में बस गया हूँ
यहाँ हमदर्द हैं दो-चार मेरे
हम दुश्मन को भी बड़ी शानदार सजा देते हैं,
हाथ नहीं उठाते बस नजरों से गिरा देते हैं.
जब जान प्यारी थी तब दुश्मन हज़ार थे,
अब मरने का शौक है तो कातिल नहीं मिलते
दुश्मनी का सफ़र इक क़दम दो क़दम,
तुम भी थक जाओगे हम भी थक जाएँगे,
आँखों से आँसुओं के दो कतरे क्या निकल पड़े,
मेरे सारे दुश्मन एकदम खुशी से उछल पडे़…
सच कहते हैं कि नाम मोहब्बत का है बड़ा
उल्फ़त जता के दोस्त को दुश्मन बना लिया
शेर का शिकार किया नहीं जाता,
राजा को दरबार में मारा नहीं जाता,
दुश्मनी अपनी औकात वालों से कर,
क्यूंकि खेल बाप के साथ खेला नहीं जाता…
रोज़ा रक्खा जो हम ने दावत की
मेरी दोस्ती का फायदा उठा लेना, क्युंकी,
मेरी दुश्मनी का नुकसान सह नही पाओगे.
दुश्मन भी मेरे मुरीद हैं शायद,
वक्त बेवक्त मेरा नाम लिया करते है,
मेरी गली से गुजरते हैं छुपा के खंजर,
रू-ब-रू होने पर सलाम किया करते हैं
वैसे दुश्मनी तो हम -कुत्ते- से भी नहीं करते है
पर बीच में आ जाये तो -शेर- को भी नहीं छोड़ते
भाई की पहोंच तो दिल्ली से लेकर ‘कब्रस्थान तक है
आवाज दिल्ली तक जाती है दुश्मन कब्रस्थान तक
मुझे मेरे दोस्तों से बचाइये राही
दुश्मनों से मैं ख़ुद निपट लूँगा.
मैं हैराँ हूँ कि क्यूँ उस से हुई थी दोस्ती अपनी
मुझे कैसे गवारा हो गई थी दुश्मनी अपनी
कू-ए-जानाँ में न ग़ैरों की रसाई हो जाए
अपनी जागीर ये या-रब न पराई हो जाए
जब तक आग ना लगे दुश्मन के सीने में.
दोस्ती भी अब लोग अधूरा करते हैं,
दुश्मनों की कमी अब तो दोस्त पूरा करते हैं,
ऐ नसीब जरा एक बात तो बता,
तु सबको आजमाता हैँ या मुझसे ही दुश्मनी हैँ .
अगर किस्मत आजमाते-आजमाते थक गये हो
तो कभी खुद को भी आजमाईए नतीजे बहेतर होंगे
तुझसे अच्छे तो मेरे दुश्मन निकले,
जो हर बात पर कहते हैं.. ‘तुम्हें नहीं छोड़ेंगे.
के वो आप जैसा दोस्त और न बनाये,
एक कार्टून जैसी चीज है हमारे पास,
कहीं वो भी कॉमन न हो जाये।
दुश्मनों की भी राय ली जाए
आपका स्क्रू उतना ही ढीला हैं
तेरी गलियों में आने जाने से दुश्मनी हो गयी ज़माने से,
सोके दीदार दे रहा है सज़्जा मिलने आजा किसी बहाने से.
कभी ख़ुद को मेरे प्यार में भुला कर देख,
दुश्मनी अच्छी नहीं मुझे दोस्त बना करे देख.
दोस्ती या दुश्मनी, नहीं निभाता है आईना,
जो उसके सामने है, वही दिखाता है आईना.
जिन लोगों के पास दिखाने के लिए टैलेंट नहीं होता
वो अक्सर अपनी औकात दिखा जाते हैं
लोग कहते हैं कि इतनी दोस्ती मत करो कि दोस्त दिल पर सवार हो जाए,
मैं कहता हूँ दोस्ती इतनी करो कि दुश्मन को भी तुम से प्यार हो जाए.
उसके दुश्मन है बहुत आदमी अच्छा होगा,
वो मेरी ही तरह शहर में तन्हा होगा.
दुश्मनों ने जो दुश्मनी की है
दोस्तों ने भी क्या कमी की है
हाथ में खंजर ही नहीं आँखों में पानी भी चाहिए,
ऐ खुदा दुश्मन भी मुझे खानदानी चाहिए..!
उसका ये अंदाज़ भी दिल को भा गया हैं,
कल तक जो दोस्त था आज दुश्मनी पर आ गया हैं.
दुश्मनी जम के करो पर इतनी गुंजाईश रहे,
कल जो हम दोस्त बन जाए तो शर्मिंदा न हो.
हम तो दुश्मनी भी दुश्मन की औकात देखकर करते है
बच्चो को छोड देते है और बडो को तोड देते है.
जो दिल के करीब थे वो जबसे दुश्मन हो गये,
जमाने में हुए चर्चे, हम मशहूर हो गये.
चुभता तो बहुत कुछ मुझको भी हैं, तीर की तरह,
मगर खामोश रहता हूँ, अपनी तकदीर की तरह.
तरतीब दे रहा था मैं फ़हरिस्त-ए-दुश्मनान
यारों ने इतनी बात पे ख़ंजर उठा लिया
जो दिल के हैं सच्चे उनका दुश्मन पूरा जमाना हैं,
इस रंग बदलती दुनिया का यही सच्चा फ़साना हैं.
ये कह कर मुझे मेरे दुश्मन हँसता छोड़ गए,
तेरे दोस्त काफी हैं तुझे रुलाने के लिए.
दुश्मनों की महफ़िल में चल रही थी,
बहुत लम्बी उम्र है तुम्हारी…
हम तो दुश्मनी भी दुश्मन की औकात देखकर करते है
बच्चो को छोड देते है और बडो को तोड देते हे
मुझसे दोस्ती ना सही तो दुश्मनी भी ना करना
क्यूंकि में हर रिश्ता पूरी शिददत से निभाता हूँ .
लोग कहते हैं कि इतनी दोस्ती मत करो,
कि दोस्त दिल पर सवार हो जाए,
मैं कहता हूँ दोस्ती इतनी करो,
कि दुश्मन को भी तुमसे प्यार हो जाए…
अब काश मेरे दर्द की कोई दवा न हो बढ़ता ही जाये ये तो मुसल्सल शिफ़ा न हो
बाग़ों में देखूं टूटे हुए बर्ग ओ बार ही मेरी नजर बहार की फिर आशना न हो
देख ली देख ली बस हम ने तबीअत तेरी
हो न दुश्मन के भी दुश्मन को मोहब्बत तेरी
मेरे दुश्मन भी, मेरे मुरीद हैं शायद,
वक़्त बेवक्त मेरा नाम लिया करते हैं,
मेरी गली से गुज़रते हैं छुपा के खंजर,
रु-ब-रु होने पर सलाम किया करते हैं !
मेरे दुश्मन न मुझ को भूल सके
वर्ना रखता है कौन किस को याद
दुश्मन और सिगरेट को जलाने के
उन्हे कुचलने का मज़ा ही कुछ
बच्चपन में अपनों से भी रोज रुठते थे,
आज दुश्मनों से भी मुस्करा के मिलते है!!
तड़पते है नींद के लिए तो यही दुआ निकलती है !!!
किसी दुश्मन को भी ना हो…!!
जाने हो मेहरबाँ ख़ुदा कब तक
पूछा है ग़ैर से मिरे हाल-ए-तबाह को,
इज़हार-ए-दोस्ती भी किया दुश्मनी के साथ.
दोस्तो ने दिया है इतना प्यार यहाँ,
तो दुश्मनी का हिसाब क्या रखें,
कुछ तो जरूर अच्छा है सभी में,
फिर बुराइयों का हिसाब क्यों रखें…
ग़ुंचों का फ़रेब-ए-हुस्न तौबा काँटों से निबाह चाहता हूँ
धोके दिए हैं दोस्तों ने दुश्मन की पनाह चाहता हूँ
दिल जलाने की बात करते हो,
चार दिन से मुंह नहीं धोया,
तुम नहाने की बात करते हो।
उम्र भर मिलने नहीं देती हैं अब तो रंजिशें
वक़्त हम से रूठ जाने की अदा तक ले गया
देखा तो वो शख्स भी मेरे दुश्मनो में था,
नाम जिसका शामिल मेरी धड़कनों में था.
प्यार, एहसान, नफरत, दुश्मनी जो चाहो वो मुझसे करलो…
आप की कसम वही दुगुना मिलेगा !!
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